Land Registry Documents : भारत में जमीन लोगों की संपत्ति होती है और संपत्ति खरीद बिक्री एक संवेदनशील और कानूनी रूप से आम प्रक्रिया माना जाता है क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति जमीन है प्लॉट खरीदना है बेचता है तो दोनों को दस्तावेज से जुड़ी जानकारी होना बहुत ही जरूरी होती है क्योंकि कोई व्यक्ति जमीन नहीं अपलोड करता है तो केवल भुगतान करना ही पर्याप्त नहीं होता है क्योंकि जमीन का विधिवत पंजीकरण रजिस्ट्री कराना भी काफी जरूरी होता है क्योंकि किसी से आगे चलकर रजिस्ट्री उसे व्यक्ति को उसे जमीन का अवैध मलिक बनती है इस लेख में जमीन रजिस्ट्री के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट लगेंगे इस लेख में विस्तार से जानकारी बताई गई है।
जमीन रजिस्ट्री के लिए डॉक्यूमेंट से जुड़ी जानकारी।
भारत में संपत्ति खरीद-बिक्री एक संवेदनशील और कानूनी रूप से अहम प्रक्रिया है। जब भी कोई व्यक्ति जमीन या प्लॉट खरीदता है, तो केवल भुगतान करना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि उसका विधिवत पंजीकरण यानी रजिस्ट्री कराना भी जरूरी होता है। यही रजिस्ट्री आगे चलकर उस व्यक्ति को उस ज़मीन का वैध मालिक बनाती है।
अगर आप भी कोई ज़मीन या प्लॉट खरीदने की सोच रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद उपयोगी है। इसमें बताया गया है कि ज़मीन की रजिस्ट्री के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, प्रक्रिया क्या होती है, और किन सावधानियों का पालन करना जरूरी है।
रजिस्ट्री के लिए ज़रूरी दस्तावेज
अगर आप भारत में जमीन रजिस्ट्री करवाते हैं यदि आप जमीन बेच रहे हैं तो रजिस्ट्री के दौरान दो पक्ष होते हैं और यहां विक्रेता और खरीदार होते हैं दोनों के लिए कुछ दस्तावेज अनिवार्य होता है जो इस लेख के नीचे बताई गई है।
जमीन विक्रेता को चाहिए ये दस्तावेज।
खसरा/खतौनी/खाता प्रमाण पत्र – जिससे भूमि का स्वामित्व प्रमाणित हो सके।
टाइटल डीड की प्रति – यानी पहले की हुई रजिस्ट्री का रिकॉर्ड।
भू-राजस्व या संपत्ति कर की रसीद – यह ज़मीन पर किसी बकाया कर का प्रमाण देती है।
NOC (यदि कृषि भूमि का उपयोग बदला गया हो)।
पहचान प्रमाण – आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो व हस्ताक्षर।
खरीदार को चाहिए ये कागज़ात:
- आधार और पैन कार्ड
- पते का प्रमाण (जैसे बिजली बिल या राशन कार्ड)
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
- बैंक खाते की जानकारी (यदि पेमेंट बैंक के माध्यम से हो रही हो)
सामान्य आवश्यक दस्तावेज:
- बिक्री अनुबंध पत्र (Sale Agreement)
- रजिस्ट्री फीस और स्टांप ड्यूटी की रसीद
- गवाहों की पहचान संबंधी प्रमाण
- ज़मीन का नक्शा (यदि प्लॉट है)
- ई-स्टांप पेपर (यदि राज्य में अनिवार्य हो)
ज़मीन की रजिस्ट्री की प्रक्रिया
अगर आप सोच रहे हैं कि रजिस्ट्री कैसे होती है, तो इसे चरणबद्ध तरीके से समझिए:-
- बिक्री समझौता (Sale Agreement)
- सबसे पहले विक्रेता और खरीदार के बीच ज़मीन की शर्तों को लेकर एक एग्रीमेंट होता है। इसमें प्लॉट की लोकेशन, कीमत, पेमेंट शर्तें आदि का उल्लेख होता है।
- स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान
- राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, तय स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान किया जाता है।
- सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में जाना विक्रेता, खरीदार और दो गवाहों को सभी कागज़ात के साथ स्थानीय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में जाना होता है।
- बायोमैट्रिक और सत्यापन वहां पर फिंगरप्रिंट, फोटोग्राफ और दस्तावेजों की स्कैनिंग की जाती है।
- पंजीकरण के बाद दस्तावेज मिलना प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ दिनों में खरीदार को पंजीकृत डीड की कॉपी मिलती है, जो भविष्य में ज़मीन पर स्वामित्व का प्रमाण बनती है।
- सावधानियां जो ज़मीन खरीदते समय रखनी चाहिए
- ज़मीन पर कोई कानूनी विवाद, मुकदमा या लोन तो नहीं है इसकी जांच ज़रूर करें।
- स्थानीय भूमि रिकॉर्ड पोर्टल (जैसे Bhulekh या Dharani) से खसरा/खतौनी की स्थिति जांचें।
- ज़मीन का जोन (Agricultural, Residential, Commercial) जांचना बेहद जरूरी है।
- अगर कोई दलाल (Broker) है, तो हर दस्तावेज को सावधानी से दोबारा जांचें।
- रजिस्ट्रेशन फीस व स्टांप ड्यूटी राज्य के अनुसार अलग-अलग होती है, इसलिए अपने राज्य की वेबसाइट से पहले से जानकारी प्राप्त करें।
निष्कर्ष
इस लेख में ज़मीन की रजिस्ट्री केवल एक कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के स्वामित्व का कानूनी प्रमाण होती है। यदि इस प्रक्रिया में कोई गलती या दस्तावेज की कमी रह जाती है, तो भविष्य में विवाद या ज़मीन गंवाने जैसी बड़ी समस्याएं हो सकती हैं तो, इसलिए यदि आप ज़मीन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो ऊपर बताए गए दस्तावेजों और प्रक्रिया को पूरी तरह समझ लें और सावधानीपूर्वक कदम उठाएं।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के
उद्देश्य से लिखा गया है। अलग-अलग राज्यों और ज़िलों में ज़मीन रजिस्ट्री से जुड़े नियम और शुल्क अलग-अलग हो सकते हैं। कृपया अपनी ज़मीन की रजिस्ट्री से पहले किसी योग्य वकील, दस्तावेज़ विशेषज्ञ या स्थानीय सब-रजिस्ट्रार कार्यालय से उचित सलाह लें।