चेक बाउंस मामला में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, चेक बाउंस होने पर नहीं काटने पड़ेंगे कोर्ट के चक्कर – Check Bounce Case

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Check Bounce Case : हर दिन लोगों को आम जीवन के भाग दौड़ में बैंक से लेनदेन हमेशा होती ही रहती है। इस बीच कई बार चेक बाउंस के कारण कई लोगों को इससे बाहर नुकसान हो जाता है। अगर आप भी एक बैंक खाता धारक है तो आपको यह खबर जान लेना बेहद जरूरी होगा क्योंकि हाल ही में देश के एक हाईकोर्ट ने इस विषय पर एक बड़ा और राहत देने वाला फैसला सुनाया है। जिससे अब लगभग लाखों करोड़ों लोग जो चेक बाउंस की समस्या से परेशान हो रहे थे। अब उन्हें न्याय पाना थोड़ा आसान हो गया है।

क्या है मामला?

मिली रिपोर्ट्स के अनुसार एक कोर्ट में दायर याचिका मैं यह मांग की गई थी कि जिन लोगों को चेक बाउंस होने की वजह से भारी भड़कम नुकसान होता है। उनके लिए किस दर्ज करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शिता किया जाए। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि चेक बाउंस की शिकायत दर्ज करने में अनावश्यक तकनीक अड़चनें नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यह सीधे आम आदमी की आर्थिक हितों से जुड़ा मामला होता है।

कोर्ट का अहम निर्देश

आपको बता दे की कोर्ट ने अपने फैसले से यह स्पष्ट किया कि यदि चेक बाउंस होता है, तो शिकायतकर्ता को इसकी शिकायत दर्ज करने के लिए सिर्फ मूल दस्तावेज और बाउंस की बैंक रिपोर्ट की आवश्यकता होगी। और यह जरूरी भी नहीं है कि शिकायतकर्ता को बार-बार कोर्ट में पेश होकर खुद की मौजूदगी दर्ज कराए। जब तक की कैसे किसी भी निर्णायक मोड़ करना पहुंचे हैं।

डिजिटल दस्तावेज़ भी होंगे मान्य?

अब हाई कोर्ट नहीं अभी कहां है कि डिजिटल रूप में जमा किए गए दस्तावेजों को भी शिकायत दर्ज करने के लिए मान्य किया जाएगा। जिससे ऑनलाइन माध्यम से न्याय की प्रक्रिया में प्रदर्शित और अधिक सरल हो सकेगी। इससे न केवल कोर्ट पर बोझ कम होगी बल्कि शिकायतकर्ता को लंबी प्रक्रिया और बार-बार सरकारी दफ्तर का चक्कर काटने से छुटकारा मिलेगी।

क्यों है यह फैसला खास?

चेक बाउंस का मामला सिर्फ व्यापारियों के लिए ही नहीं बल्कि आम नागरिकों के लिए भी यह बहुत गंभीर होता है। अब तक इस तरह के केस में प्रक्रिया लंबी, पेचीदा और खर्चीली होती थी। लेकिन अब कोर्ट के इस फैसले से यह उम्मीद की जा रही है कि पीड़ित पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा और आरोपी पक्ष पर भी दबाव बनेगा कि वह समय पर भुगतान कर सके।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल जागरूकता के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी कानूनी निर्णय या कार्रवाई से पहले, संबंधित विशेषज्ञ या वकील से सलाह लेना जरूरी है।

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