Check Bounce Case : आजकल लेन-देन के लिए चेक का इस्तेमाल आम बात हो गई है। लेकिन अगर आपने किसी को चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो आपको भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। अब खबरें आ रही हैं कि सरकार चेक बाउंस पर सख्त कानून ला रही है – जिसमें सीधे जेल तक की नौबत आ सकती है। तो आइए जानते हैं इस कानून के बारे में विस्तार से और कैसे आप इस परेशानी से बच सकते है।
क्या होता है चेक बाउंस?
जब आप किसी को चेक देते हैं और आपके बैंक खाते में उतना पैसा नहीं होता जितना चेक में लिखा है, तो वो चेक ‘डिशॉनर’ यानी बाउंस हो जाता है। बैंक इसे साफ शब्दों में कह देता है – “Insufficient Funds”। यह सिर्फ एक बैंकिंग गलती नहीं है, बल्कि कानून के तहत दंडनीय अपराध माना जाता है।
नया कानून क्या कहता है?
भारत सरकार और न्यायपालिका चेक बाउंस मामलों को गंभीरता से ले रही है, क्योंकि इससे भरोसा टूटता है और व्यापार-व्यवहार में रुकावट आती है। अब सरकार चेक बाउंस को लेकर सख्त दंड का प्रावधान कर रही है:
पहली बार चेक बाउंस होने पर भी 3 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है।
साथ ही चेक की रकम का दोगुना जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
मामला अगर कोर्ट में गया और आप दोषी पाए गए, तो सीधे जेल हो सकती है।
अगर आप समय रहते समझौता नहीं करते, तो मामला लंबा और खर्चीला हो सकता है।
आप क्या कर सकते हैं – बचाव के तरीके
अकाउंट में पैसे रखें: सबसे बुनियादी बात यही है – जब भी किसी को चेक दें, पहले सुनिश्चित कर लें कि आपके खाते में उतनी रकम हो।
पोस्ट डेटेड चेक सोच-समझकर दें: कई बार लोग भविष्य की तारीख का चेक दे देते हैं। ध्यान रखें कि उस दिन आपके खाते में पैसे हों, वरना वही चेक मुसीबत बन जाएगा।
अगर चेक बाउंस हो जाए तो तुरंत कार्रवाई करें: सामने वाले से माफी मांगें और जल्द भुगतान करें। बैंक और पार्टी को लिखित में सूचना दें कि चेक क्यों बाउंस हुआ। और सेटलमेंट का प्रयास करें – कई बार बातचीत से समाधान निकल आता है।
लीगल नोटिस का जवाब समय पर दें: अगर आपको 15 दिन के अंदर लीगल नोटिस मिलता है, तो जवाब जरूर दें और पेमेंट का प्रस्ताव रखें। जवाब नहीं देने पर कोर्ट केस बन सकता है।
वकील से सलाह लें: अगर मामला बड़ा है या कोर्ट तक पहुंच चुका है, तो किसी अनुभवी वकील से सलाह लेना जरूरी है।
क्या हर चेक बाउंस में जेल होगी?
नहीं, हर चेक बाउंस मामले में जेल नहीं होती। यह कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है – अगर गलती पहली बार हुई हो, या आप भुगतान करने को तैयार हों, तो समझौते और जुर्माने के आधार पर मामला सुलझ सकता है। लेकिन अगर आपने जानबूझकर धोखा देने की नीयत से चेक दिया है, तो कानून बेहद सख्त रुख अपनाता है।
निष्कर्ष
चेक बाउंस एक छोटी गलती लग सकती है, लेकिन इसके नतीजे बड़े और भारी हो सकते हैं। नया कानून कहता है – “भरोसे का उल्लंघन अब माफ नहीं होगा।” इसलिए सावधानी से चेक दें, बैंक बैलेंस का ध्यान रखें, और कानूनी प्रक्रिया को हल्के में न लें।