Bihar Liquor News : चुनाव से पहले सरकार का बड़ा फैसला फिर से चालू होगा बिहार में शराब! जाने नया नियम कानून

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Bihar Liquor News : बिहार की धरती एक बार फिर चर्चा में है। मुद्दा वही पुराना शराबबंदी। लेकिन इस बार माहौल बदला हुआ है। चुनाव पास है, सियासी तगड़े खेल शुरू हैं, और जनता के मन में सवालों की लहर उठ रही है। की “क्या फिर से शराब बिकेगी?”, “क्या सरकार अपनी ही बनाई दीवार गिरा देगी?”, “और अगर नहीं, तो फिर क्या बदलेगा?” तो लिए आज के इस लेटेस्ट खबर में इन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष रूप से चर्चा करते हैं।

बिहार में शराब से जुड़ी हिंदी खबरें?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं। “हमने शराबबंदी औरतों के कहने पर की थी, अब इसे हटाना हमारे उस वादे से धोखा होगा।” सरकार का यह मानना है कि घरेलू हिंसा में कमी आई। गरीब घरों में खाना पहुंचा है शराब नहीं, औरत की इज्जत और आवाज को मजबूती मिली है। इसके अलावा उनका कहना है कि यह कोई सियासी हथकंडा नहीं, बल्कि “संस्कार का सवाल” है।

कई गांवों में लोग पूछ बैठते हैं कि अगर शराबबंदी सच में लागू है तो फिर हर हफ्ते नकली शराब से क्यों मरता है? अगर शराब नहीं बिकती तो हर मोहल्ले में एक बोतल कैसे पहुंचती है। सच्चाई यह है कि शराबबंदी कागज पर है लेकिन जमीन पर नहीं कई पुलिस वालों पर आरोप है कि वह पकड़ने से ज्यादा आराम दिखाते हैं और पैसे लेकर छोड़ देते हैं। और इसका लाभ उठाते हैं तस्कर और मिलावट खोर जो नकली शराब बनाकर गरीबों की जान ले रहा है।

महिला शक्ति की सच्चाई

बिहार की लाखों महिलाओं ने शराबबंदी का खुलकर समर्थन किया है।

उनके लिए ये सिर्फ शराब की बात नहीं, बल्कि घर की सुरक्षा, बच्चों की पढ़ाई, और इज्ज़त की बात है।

लेकिन अब उनका मानना है कि हमने समर्थन किया था कि अब कानून का पालन नहीं हो रहा है। अगर कानून रहेगा तो ठीक से लागू भी हो। वरना यह सिर्फ गरीबों को जेल भेजने करने का तरीका बन गया है।

चुनाव पास, तो क्या बदलेगी हवा?

कुछ विपक्षी दल कह रहे हैं:-

  • हम आएंगे तो ताड़ी को फिर से इजाजत देंगे।
  • नीतीश सरकार की शराबबंदी ने राजस्व भी गिराया और गरीबों को सज़ा दी।

इस पर जनता दो खेमों में बंटी है?

एक तरफ वो जो कहते हैं: “हमें शराबबंदी चाहिए, लेकिन सच्ची और ईमानदार”

दूसरी तरफ वो, जो मानते हैं: “जब छुपकर बिक ही रही है, तो कम से कम सरकार की निगरानी में खुलेआम बेचना बेहतर होगा।”

नया क्या हुआ है?

बिहार पुलिस ने नया यूनिट बनाया है, जो शराब तस्करी, ड्रग्स और साइबर क्राइम पर काम करेगा।

बॉर्डर पर चेकिंग तेज़ की गई है, ताकि उत्तर प्रदेश से शराब ना घुसे।

कई जिलों में हज़ारों लीटर शराब ज़ब्त कर नष्ट की जा रही है।

लेकिन इन सबके बीच सबसे जरूरी सवाल है, क्या ये सब दिखावा है, या बदलाव की ईमानदार कोशिश?

निष्कर्ष

बिहार की असली ताकत उसकी जनता है। वही तय करेगी कि शराबबंदी का मतलब क्या है। इसकी ज़रूरत अब भी है या नहीं और कानून सबके लिए बराबर लागू हो रहा है या सिर्फ गरीबों के लिए। राजनीति अपनी चाल चलेगी, पार्टियाँ अपने वादे करेंगी। लेकिन असली बात तब बनेगी जब जनता की आवाज़ कानून से ज़्यादा ताकतवर होगी।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जनहित में जानकारी देने के लिए लिखा गया है। इसका मकसद किसी भी नीति या पार्टी का समर्थन या विरोध नहीं है।

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