Old pension scheme 2025 update : सरकारी कर्मचारियों के बीच एक बार फिर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह स्कीम, जो 2004 से पहले तक लागू थी, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद जीवनभर गारंटीड पेंशन की सुविधा देती थी। अब जबकि कई राज्य सरकारें OPS को फिर से लागू करने की दिशा में कदम उठा चुकी हैं, यह सवाल ज़रूरी हो जाता है कि देशभर में OPS दोबारा लागू होगी या नहीं? इस लेख में हम आपको OPS से जुड़ी सभी ताज़ा जानकारी देंगे पूरी तरह स्पष्ट, व्याख्यात्मक और पॉलिसी के अनुरूप।
ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है?
ओल्ड पेंशन स्कीम भारत में वह व्यवस्था थी जिसमें सरकारी कर्मचारियों को सेवा समाप्ति के बाद निश्चित मासिक पेंशन दी जाती थी। इसमें पेंशन कर्मचारी के आखिरी वेतन के एक तय प्रतिशत पर आधारित होती थी। सबसे अहम बात यह थी कि यह पेंशन आजीवन मिलती थी और महंगाई भत्ते (DA) के साथ बढ़ती रहती थी।
OPS की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें कर्मचारी को पेंशन पाने के लिए कोई योगदान (contribution) नहीं करना पड़ता था। यह पूरी तरह सरकार द्वारा वित्तपोषित (funded) होती थी। हालांकि, सरकार पर बढ़ते बोझ के कारण इसे 2004 में बंद कर दिया गया और इसके स्थान पर नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई।
OPS बनाम NPS: कौन सी स्कीम बेहतर?
सबसे पहले यदि आप भी कर्मचारी हैं तो आप यह जान लीजिए की नई पेंशन योजना (NPS) को एक योगदान आधारित प्रणाली के रूप में लाया गया है, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों हर माह एक निश्चित राशि जमा करते हैं। यह राशि बाजार से जुड़ी होती है और पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती।
वहीं, OPS में रिटायरमेंट के बाद निश्चित और गारंटीड पेंशन मिलती थी, जिससे कर्मचारी को आर्थिक सुरक्षा मिलती थी। यही कारण है कि बहुत सारे कर्मचारी आज भी OPS को वापस लाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें NPS में जोखिम अधिक लगता है और लाभ कम।
किन राज्यों ने ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू की है?
हाल के वर्षों में कुछ राज्यों ने OPS को आंशिक रूप से फिर से लागू किया है या इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं:
राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने पहले ही OPS को लागू करने की घोषणा की है।
पंजाब, झारखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने भी इसके पक्ष में बयान दिए हैं और कर्मचारियों को राहत दी है।
वहीं, केंद्र सरकार ने अभी तक OPS को दोबारा लाने की किसी योजना की पुष्टि नहीं की है।
हालांकि, इन राज्यों के फैसलों पर भी केंद्र की नज़र बनी हुई है और राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा चर्चा में है।
केंद्र सरकार का रुख क्या है?
केंद्र सरकार फिलहाल OPS को फिर से लागू करने के पक्ष में नहीं दिखती। वित्त मंत्रालय और पेंशन विभाग ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि OPS से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा और यह दीर्घकालिक वित्तीय अनुशासन के लिए सही नहीं होगा।
हालांकि, सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह NPS में कुछ सुधारों पर विचार कर रही है जैसे मिनिमम गारंटीड पेंशन, ज्यादा पारदर्शिता और कर्मचारी-अनुकूल बदलाव।
क्या सभी सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा OPS का लाभ?
नहीं। वर्तमान में केवल वही राज्य कर्मचारी OPS का लाभ ले पाएंगे, जिनकी सेवा उन राज्यों में है जहां यह स्कीम दोबारा लागू की गई है। केंद्र सरकार के कर्मचारी और अन्य राज्य जहां OPS लागू नहीं है, वे अभी भी NPS के तहत ही पेंशन पा रहे हैं।
यह भी स्पष्ट नहीं है कि आने वाले समय में OPS को पूरे देश में फिर से लागू किया जाएगा या नहीं, क्योंकि इससे केंद्र और राज्य सरकारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
क्या 2025 में OPS फिर से पूरे देश में लागू हो सकती है?
2025 में होने वाले लोकसभा चुनावों और कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र, ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। कई राजनीतिक दल इसे लेकर वादे भी कर सकते हैं, लेकिन वास्तविक नीति बदलाव तभी संभव है जब केंद्र सरकार इस पर औपचारिक घोषणा करे।
निष्कर्ष:
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर देश में एक भावनात्मक और व्यावहारिक बहस जारी है। कुछ राज्य इसे फिर से लागू कर चुके हैं, जबकि केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्क है। कर्मचारियों की लंबे समय से यही मांग रही है कि उन्हें फिर से सुरक्षित और स्थायी पेंशन दी जाए। अब देखना होगा कि आने वाले महीनों में सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है।
डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न समाचार स्रोतों और सार्वजनिक बयानों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले संबंधित सरकारी विभाग या आधिकारिक सूचना स्रोत से पुष्टि अवश्य करें। यह लेख निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में न लिया जाए।